ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple In Hindi)
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरे एक और लेख में जिसमें मैं आज आपको ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple In Hindi) के बारे में बताऊंगा। यह मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के इंदोर शहर में खंडवा नामक स्थान पर स्थित है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग है, इस ज्योतिर्लिंग के पास में ही अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी विराजमान है। इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की मान्यता एक ही ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा और कावेरी नदी के तट पर स्थित मंदाता नामक द्वीप पर स्थित है। भगवान शिव के परम भक्त अमरेश और सूर्यवंशी राजा मंधाता ने इस स्थान पर कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उन्ही महान तपस्वी राजा मंधाता के नाम पर ही इस द्वीप का नाम मंधाता रखा गया है।
ओंकारेश्वर मंदिर का धार्मिक
महत्व
ओंकारेश्वर मंदिर के बारे
में शिवपुराण बताया गया है कि एक बार नारद ऋषि श्रद्धा
और भक्ति के साथ गोकण नामक शिव के पास गए और भक्ति भाव से ओत-प्रोत हो कर भगवान
शिव की सेवा करने लगे। कुछ समय सेवा करने के पश्चात देवर्षि नारद गिरिराज विंध्य
पर्वत के पास पहुँच गए। विंध्य पर्वत ने बड़े आदर भाव से देवर्षि नारद का सेवा
सत्कार किया। लेकिन विंध्य पर्वत के मन में अहंकार पैदा हो गया, और देवर्षि से कहने लगा कि-मैं सर्वगुण सम्पन्न हूँ मेरे पास हर प्रकार की संपदा है और मुझे किसी भी चीज कि कोई कमी नहीं है। विंध्य पर्वत की बात सुन कर देवर्षि नारद ने गहरी सांस ली और
मंद-मंद मुस्कराने लगे। यह देख विंध्य पर्वत ने नारद जी से पूछा कि आपको मेरे पास
कौन सी चीज की कमी दिखाई दी जो आप इस तरह मुस्करा रहे हो। देवर्षि नारद ने विंध्य
पर्वत को बताया कि तुम्हारे पास सब कुछ है परंतु सुमेरु पर्वत तुमसे बहुत ऊँचा है।
उस पर्वत के शिखरों का भाग देवताओं के लोकों तक पहुंचता है। मुझे लगता है कि
तुम्हारे शिखरों का भाग वहाँ तक कभी नहीं पहुँच पाएगा। इतना बोलकर देवर्षि नारद वहाँ
से चले गए।
देवर्षि नारद के जाने के बाद विंध्य पर्वत को अपनी बात का बहुत पछतावा हुआ। वह दुखी होकर मन ही मन शोक करने लगा। उसने निश्चय किया कि वह अब भगवान शिव की कठोर तपस्या करेगा। यही विचार मन में लेकर विंध्य पर्वत ओंकार नामक पर्वत पर आया और यहाँ पर उसने भगवान शिव की मूर्ति बनाई और छह महीने तक भगवान शिव की कठोर तपस्या की। विंध्य पर्वत की कठोर तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिये, और विंध्य पर्वत से वर माँगने को कहा, विंध्य पर्वत ने हाथ जोड़कर भगवान शिव से कहा कि – हे देवों के देव महादेव यदि आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं तो हमारे सभी प्रकार के कार्यों को सिद्ध करने वाली वह अभीष्ट बुद्धि मुझे प्रदान करें। विंध्य कि बात सुनकर भगवान शिव ने कहा हे गिरिराज मैं तुम्हें वह उत्तम वर प्रदान करता हूँ जिस से तुम अपने सभी कार्यों को सिद्ध कर सको। विंध्य पर्वत को वर दे कर जैसे ही भगवान शिव प्रस्थान करने लगे तो उसी समय देवगण और ऋषि गण वहाँ आ गए। उन्होने विधिवत रूप से भगवान शिव कि पुजा अर्चना की और भगवान शिव प्रार्थना की मानव जाति के कल्याण के लिए आप सदा के लिए यहाँ विराजमान हो जायें। भगवान शिव ने उन देवगणों और ऋषियों की बात मान कर सदा के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहाँ विराजमान हो गये।
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ओंकारेश्वर मंदिर का मंदिर का इतिहास
मध्यकाल में ओंकारेश्वर मंदिर की देख भाल आदिवासी भीलों के सरदार परमारों द्वारा की जाती थी। जब ओरंगजेब ने भारत में आक्रमण किया तो उसने भारतीय मंदिरों और हिन्दू देवी देवताओं को तहस-नहस करना शुरू कर दिया। ओरंगजेब ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर ओंकारेश्वर मंदिर को बहुत नुकसान पहुंचाया था। बाद में ग्वालियर के महाराज सिंधिया ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया। जब अंग्रेजों ने देश को अपना गुलाम बनाया तो उन्होने इस मंदिर को अपने अधीन कर लिया था। लेकिन आजादी के बाद यह मंदिर पुनः अपनी मुख्य धारा में लौट आया।
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला
ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण प्राचीन नागर शैली में किया गया है। यह सफ़ेद मुलायम के पत्थर से बना एक शानदार मंदिर है, इस मंदिर की बनावट ही इसका सबसे बड़ा आकर्षण है। इस मंदिर की सुंदरता इसके ऊपर बनी मीनार है। इस मीनार के निर्माण में 5 अलग-अलग प्रकार की परतें बनाई गई हैं, जो विभिन्न हिंदू देवताओं की छवि पेश करती हैं। मंदिर के दोनों तटों पर नर्मदा और कावेरी नदी बहती है। प्राचीन काल में लोग मंदिर में पहुँचने के लिए नावों और बोटों का इस्तेमाल करते थे।
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ओंकारेश्वर मंदिर का खुलने का समय
ओंकारेश्वर मंदिर का खुलने और पुजा पाठ करने के
बारे में जानकारी नीचे दी गई।
मंदिर खुलने का समय सुबह 4:30 बजे।
दर्शन का समय सुबह 5 बजे से शाम को 3::30 बजे
तक।
संध्या दर्शन शाम को 4:30 बजे से रात्री 9:30 बजे
तक।
पुजा या आरती का समय सुबह 5 बजे से 5:30 बजे
तक।
जलाभिषेक करने का समय सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक।
शाम की आरती का समय रात 8:20 से
9:10 बजे तक।
मंदिर बंद होने का समय रात्री 10:00 बजे।
ओंकारेश्वर मंदिर के आसपास घूमने के स्थान
अगर आप ओंकारेश्वर मंदिर के आस पास घूमना चाहते
हो तो कुछ प्रमुख जगहों के बारे जानकारी नीचे दी गयी है, आप यहाँ पर घूम सकते हो।
1- केदारेश्वर मंदिर
केदारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के सबसे
प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व दुनिया भर से भक्तों
और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में
हुआ था।
2-सिद्धनाथ मंदिर
इस मंदिर का निर्माण ओंकारेश्वर
मंदिर के पास ही किया गया है। इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर अपनी प्राचीन वास्तुकला के कारण बहुत
प्रसिद्ध है। ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन करने बाद
भक्तगण इस मंदिर में भी दर्शन के लिए जाते हैं।
3- श्री गोविंद भागवतपाड़ा गुफा
यह गुफा हमारे हिन्दू धर्म में बहुत अधिक पवित्र मानी जाती है। इस गुफा में एक मुख्य हॉल और एक शिवलिंग के साथ एक छोटा गर्भगृह है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर शंकराचार्य महान संत गोविंदा भागवतपाद से मिले थे और उन्होंने उनके अधीन आध्यात्मिक शिक्षा और दीक्षा ग्रहण की थी।
ओंकारेश्वर मंदिर में कैसे पहुंचे ?
ओंकारेश्वर मंदिर से
निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा इंदौर है। यहाँ से दिल्ली,कोलकाता,लखनऊ और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के लिए
जहाज चलते रहते हैं। इस हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी 88 किलोमीटर है। यहाँ से
मंदिर तक बस और टेक्सी के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर के
निकटतम रेलवे स्टेशन का नाम ओंकारेश्वर रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्रमुख रतलाम-खंडवा रेलवे लाइन पर
स्थित है और नई दिल्ली, बैंगलोर, मैसूर, लखनऊ, चेन्नई, कन्याकुमारी, पुरी, अहमदाबाद, जयपुर को रतलाम जैसे शहरों से जोड़ता है।
ओंकारेश्वर मंदिर सड़क मार्ग में खंडवा से 73 किलोमीटर, इंदौर से 86 किलोमीटर, उज्जैन से 133 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर मध्य प्रदेश परिवहन निगम बसों, निजी बसों और टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
केदार नाथ प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर के बारे में यहाँ पढ़ें।
ओंकारेश्वर मंदिर के पास के होटल
नीचे दिये गए सभी होटल ओंकारेश्वर मंदिर के पास
ही स्थित है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी होटल में रुक सकते हो।
1-Hotel Shri Radhe Krishna.
2-Shri Radhe Krishna Hotel.
3-Hotel Om Shiva.
4-Narmada Hills Resort'
5-MPT Choral Resort, Choral.
6-Tammana Palace.
7-Crescent Spa & Resorts Indore.
8-Hotel Shrinathji.
9-SkyLine Club & Resorts.
10-Castle Inn
Conclusion
आशा करता हूँ कि मैंने जो ओंकारेश्वर
मंदिर के बारे में आपको जानकारी दी वह आपको अच्छे से
समझ आ गयी होगी। मैंने इस पोस्ट में ओंकारेश्वर मंदिर से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।
अगर आप किसी मंदिर के बारे में जानना चाहते हो
तो हमें कमेंट करके बताएं। जो भी लोग आपके आस पास में या आपके दोस्तो में मंदिरों
के बारे में जानना चाहते हैं, आप उनको हमारा पोस्ट शेअर कर सकते है।
हमारी पोस्ट को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।
Note
अगर आपके पास ओंकारेश्वर मंदिर के बारे में और अधिक जानकारी है तो आप हमारे साथ शेअर कर सकते हैं, या आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी आपको गलत लगे तो आप तुरंत हमे कॉमेंट
करके बताएं।
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