जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple History In Hindi)
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरे एक और लेख में जिसमें मैं आज आपको जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple History In Hindi) के बारे में बताऊंगा। यह मंदिर दक्षिण भारत के ऑडिशा राज्य के पुरी जिले में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यह भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम है। जगन्नाथ मंदिर को धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है। यह हिंदुओं की प्राचीन सप्त पुरीऔं में से भी एक है। पुरी मंदिर अपनी वार्षिक रथ यात्रा या रथ उत्सव के लिए भी प्रसिद्ध है। जिसमें तीन प्रमुख देवताओं को विशाल और विस्तृत आकार में रथ के ऊपर मंदिरों में सजा कर रथ यात्रा निकली जाती है।
जगन्नाथ मंदिर का धार्मिक महत्व
जगन्नाथ मंदिर के बारे में धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि एक इंद्रद्युम्न नाम का राजा था। जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। वह नित्यदिन उनकी पूजा करता था। एक बार राजा को सूचना मिली कि भगवान विष्णु नीला माधव के रूप में आए हैं। इसलिए राजा ने उनकी खोज के लिए विद्यापति नाम के पुजारी को भेजा। घूमते हुए विद्यापति उस स्थान पर पहुँच गए जहाँ विश्ववासु नाम का एक सावर राजा (आदिवासी प्रमुख) निवास करता था। विश्ववासु वहाँ का स्थानीय प्रमुख थे जिन्होंने विद्यापति को अपने साथ में रहने के लिए कहा। विश्ववासु की ललिता नाम की एक बेटी थी और विद्यापति ने कुछ समय बाद उससे शादी कर ली। विद्यापति ने देखा कि जब उनके ससुर जंगल से वापस आये तो उनके शरीर में चंदन, कपूर और कस्तूरी की गंध आ रही थी। अपनी पत्नी से कारण पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता नीला माधव की पूजा किया करते हैं। विद्यापति ने अपने ससुर से नीला माधव के पास ले जाने के लिए कहा। विश्ववासु ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँधी और उसे गुफा में ले गए। विद्यापति बहुत चतुर था वह अपने साथ राई के बीज ले गया जिसे पूरे रास्ते पर गिरते रहा, ताकि उसे गुफा तक जाने का रास्ता याद रहे। विद्यापति ने राजा को सूचित किया तो वह उस स्थान पर पहुँच गया है।
राजा इंद्रद्युम्न भगवान को देखने और उनकी पूजा करने के लिए तीर्थ यात्रा पर तुरंत ओद्र देश (ओडिशा) के लिए रवाना हुए लेकिन भगवान विष्णु वहाँ से गायब हो गए। भगवान विष्णु के दर्शन के लिए उन्होंने नीला पर्वत पर आमरण अनशन शुरू कर दिया। तब एक दिव्य आवाज ने राजा को पुकारा 'तुम उसे एक दिन जरूर देखोगे। बाद में राजा ने एक घोड़े की बलि दी और भगवान विष्णु के लिए एक शानदार मंदिर का निर्माण किया। वहाँ पर देवर्षि नारद द्वारा लाई गई भगवान नरसिंह की मूर्ति को इस मंदिर में स्थापित किया। एक दिन नींद के दौरान राजा को भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए साथ ही एक सूक्ष्म आवाज ने उन्हें समुद्र के किनारे से सुगंधित वृक्ष प्राप्त करने और उससे मूर्तियाँ बनाने का निर्देश दिया। तत्पश्चात राजा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और चक्र सुदर्शन की दिव्य वृक्ष की लकड़ी से शानदार मूर्तियां बना कर उन्हे इस मंदिर में स्थापित कर दिया।
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास
जगन्नाथ मंदिर के निर्माण के बारे में नरसिंह देव द्वितीय द्वारा लिखा गया ताम्रपत्र शिलालेख से पता चलता है, कि इस मंदिर का निर्माण गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोदगंगा ने १२ वीं शताब्दी से पहले किया था। मंदिर में हॉल और रथ का निर्माण उनके शासन काल के दौरान किया गया था। मंदिर का वर्तमान आकार का निर्माण उड़िया के शासक अनंग भीम देव द्वारा किया गया था। लेकिन निरंतर मुगल शासकों के हमले से इस मंदिर को बहुत नुकसान हुआ। वर्ष 1558 के अफगान हमले के बाद राजा रामचंद्र देब ने मंदिर को पवित्र किया और सभी देवी देवताओं को पुनः मंदिर में स्थापित किया।
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जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला
जगन्नाथ मंदिर का निर्माण उड़िया वास्तुकला शैली के अनुसार किया गया है। यह मंदिर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के चारों ओर 20 फीट ऊंची दीवारें हैं, जिन्हें मेघनाद पचेरी के नाम से जाना जाता है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर में मुख्य द्वार के अतिरिक्त तीन और द्वार हैं जिन्हें हाथी द्वार, बाघ द्वार और अश्व द्वार के नाम से जाना जाता है। जगन्नाथ मंदिर परिसर के अंदर छोटे-छोटे मंदिरों का समूह है। जिनमें सूर्य, सरस्वती, भुवनेश्वरी, नरसिंह, राम, हनुमान और ईशानेश्वर जैसे अन्य मंदिर स्थित हैं।
मंदिर परिसर के अंदर एक डोला मंडप है जहां पर वार्षिक डोल यात्रा आयोजित की जाती है। यह होने वाले धार्मिक सभाओं के लिए मंदिर के भीतर चबूतरे, मंडप और स्तंभित हॉल बना हुआ है। इन मंडपों में सबसे प्रमुख मुक्ति मंडप है। जहां पर विद्वानों और ब्राह्मणों के पवित्र आसन स्थित हैं, यहाँ पर दैनिक पूजा और त्योहारों के संचालन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। डोला मंडप एक सुंदर नक्काशीदार पत्थर के तोरण या मेहराब के लिए उल्लेखनीय है जिसका उपयोग वार्षिक डोल यात्रा उत्सव के समय एक झूले के निर्माण के लिए किया जाता है। त्योहार के दौरान डोलोगोबिंद की मूर्ति को झूले पर रखा जाता है। स्नाना बेदी एक आयताकार पत्थर का मंच है जहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को वार्षिक यात्रा के दौरान औपचारिक स्नान के लिए रखा जाता है।
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जगन्नाथ मंदिर का खुलने का समय
जगन्नाथ मंदिर रोजाना सुबह 05:00 बजे से रात 11:30 बजे तक खुला रहता है।
दोपहर 01:00 बजे से सायं 04:00 बजे तक मंदिर विश्राम रहता है। मंदिर में प्रसाद बाटने का समय सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक होता है। मंदिर
में दर्शन का समय इस प्रकार है-
सुबह दर्शन 5:00 बजे से 1:00 बजे तक।
दोपहर का अवकाश (मंदिर बंद) 1:00 बजे से 4:00
बजे तक।
शाम दर्शन 4:00 बजे से रात 11:30 बजे तक।
प्रसादम सुबह 11:00 बजे से 1:00 बजे तक।
मंगला आरती सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक।
मैलम सुबह 6:00 बजे से 6:30 बजे तक।
सहनामेला सुबह 7:00 बजे से 8:00 बजे तक।
संध्या धूप शाम 7:00 बजे 8:00 बजे तक।
मंदिर बंद होने का समय रात 11:30 बजे।
पुरी जगन्नाथ मंदिर के पास के दर्शनीय स्थल
जगन्नाथ मंदिर के आस पास घूमने वाली कुछ प्रमुख
जगहों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
1- मार्कंडेश्वर मंदिर
मार्कंडेश्वर मंदिर अपने शानदार स्थापत्य और
कलात्मक सार के लिए जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में किया गया
था। मंदिर का प्रवेश द्वार पर दस भुजाओं वाले नटराज की आकृति से सुशोभित है। यहाँ भगवान
शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश
की छोटी मूर्तियों भी विराजमान हैं, उन्हें मुख्य मंदिर के निचले हिस्से में रखा
गया है। मंदिर के कोनों में विभिन्न अवतारों में भगवान शिव के मंदिर हैं।
2- नरेंद्र टैंक
नरेंद्र टैंक ओडिशा के सबसे बड़े टैंकों में से
एक है। इन टैंकों को 15वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था। यह तालाब के किनारे में
विराजमान है, इस तालाब को बहुत पवित्र माना जाता है और इसके चारों ओर बहुत सारे
छोटे और बड़े मंदिर हैं। झील के बीच में एक छोटा सा मंदिर है, जिसे चंदना मंडप कहा जाता है।
3- पिपिली
पिपिली पुरी का एक प्रसिद्ध शहर है। यह शहर प्रचुर
मात्रा में हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है, जो यहां हमेशा बेचने के लिए
उपलब्ध रहते हैं। यहाँ की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था शिल्प पर ही निर्भर करती है, और यहाँ सभी प्रकार के हस्त शिल्प बनाए जाते हैं,
जैसे कि भगवान की मूर्तियाँ,
पशु, पक्षी, फूल
आदि की मूर्तियाँ, तकिए के कवर, चादरें, हैंडबैग, पर्स सभी यहाँ उत्तम गुणवत्ता के हैं।
4- चिल्का झील
चिल्का झील एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की
झील है। यह पक्षी देखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए धरती पर स्वर्ग है। इस झील
में कुछ छोटे द्वीप भी हैं, और इसके किनारों पर मत्स्य पालन और नमक भी बनाया जाता है।
चिल्का झील में दुनिया का सबसे अनुकूल पारिस्थितिक तंत्र भी है, जिसका अर्थ है कि यहाँ वनस्पतियों और जीवों का
एक विस्तृत वर्गीकरण देखा जा सकता है। झील सभी विविध रंगों और रंगों में असंख्य
एवियन आकर्षण का एक शानदार प्रदर्शन प्रदान करती है, जिसमें
सफेद-बेल वाले समुद्री ईगल से लेकर फ्लेमिंगो तक, और
सुनहरे प्लोवर से लेकर सैंडपाइपर तक शामिल हैं।
5- लक्ष्मी मंदिर
यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर के पास ही स्थित है। यह मंदिर आपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह ज्येष्ठ के पखवाड़े के छठे दिन हुआ था और उन्हें देवी लक्ष्मी ने इस मंदिर में आमंत्रित किया था।
जगन्नाथ मंदिर में कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग से जगन्नाथ मंदिर में पहुँचने के लिये बीजू
पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।
रेल मार्ग से जगन्नाथ मंदिर में पहुँचने के लिये पूरी
रेलवे स्टेशन से ऑटो टैक्सी या पैदल ही मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हो। रेल मार्ग
से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है।
रोड मार्ग से जगन्नाथ मंदिर में पहुँचने के लिये उड़ीसा राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर के पास होटल
जगन्नाथ मंदिर के पास
स्थित होटलों के बारे में जानकारी नीचे दी गयी है। यह सभी होटल मंदिर के पास ही
स्थित है। आप अपनी सुविधानुसार नीचे दिये गए किसी भी होटल में रुक सकते हैं-
1-HOTEL JAGANNATH DARSHAN.
2-Reba Beach Resort.
3-Hotel Shreehari Grand.
4-Hotel Vishal.
5-Hotel Gangotri.
6-Pramod Convention & Beach Resort.
7-Mayfair Heritage.
8-Hotel Sonar Bangla.
9-Hotel Pushpa.
10-Hotel Balaji International.
Conclusion
आशा करता
हूँ कि मैंने जो आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में आपको जानकारी दी वह आपको अच्छे से
समझ आ गयी होगी। मैंने इस पोस्ट में इस मंदिर से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी देने
का प्रयास किया है।
अगर आप किसी मंदिर के बारे में जानना चाहते हो तो हमें कमेंट करके बताएं। जो भी लोग आपके आस पास में या आपके दोस्तो में मंदिरों के बारे में जानना चाहते हैं, आप उनको हमारा पोस्ट शेअर कर सकते है। हमारी पोस्ट को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।
Note
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