श्री कृष्ण मंदिर उडुपी के बारे में जानकारी 

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरे इस लेख में जिसमें मैं आज आपको श्री कृष्ण मंदिर के बारे में बताऊँगा। यह मंदिर तमिलनाडुराज्य के उडुपी नामक शहर में स्थित है। यह भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मठ क्षेत्र में स्थित भगवान श्री कृष्ण का सुंदर मंदिर है। भगवान श्री कृष्ण मंदिर और मठ के चारों ओर अनंतेश्वर मंदिर के नाम से कई और मंदिर विराजमान हैं। यह सभी मंदिर एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। भगवान श्री कृष्ण के मंदिर को साउथ का मठ भी कहा जाता है।

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी

कृष्ण मंदिर उडुपी का धार्मिक महत्व  

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी के बारे में पौराणिक कथाओं में बताया गया हैकि यशोदा माँ जिन्होने भगवान श्री कृष्ण को पाल-पोसकर बड़ा किया था। उन्होने भगवान श्री कृष्ण की बचपन की सभी लीलाएं देखी थी। परंतु एक दिन माता देवकी के मन में बड़ा दुख हुआ कि मैं अपने बेटे की बचपन की लीलाएं नहीं देख पायी और वह बहुत दुखी हो गयीजिसे भगवान श्री कृष्ण समझ गए। उन्होने अपनी शक्तियों के द्वारा माता देवकी को अपने सम्पूर्ण बचपन की बाल लीलाओं के दर्शन कराये। माता देवकी के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणी ने भी उनकी लीलाओं को देखा। माता रुक्मणी ने भगवान श्री कृष्ण से आग्रह कियाकि वह भगवान श्री कृष्ण के बचपन रूप की मूर्ति बनाकर इसकी पुजा करना चाहती है। भगवान श्री कृष्ण ने भगवान विश्वकर्मा जी से एक मूर्ति बनाने को कहा। भगवान विश्वकर्मा जी ने शालिग्राम पत्थर से भगवान श्री कृष्ण की बाल्य काल की मूर्ति बनायी। जिसके बाद माता रुक्मणी के अतिरिक्त और भी भक्त उस मूर्ति की पुजा करने लगे। सभी भक्त पूजा करते समय उस मूर्ति पर चन्दन का लेप लागने लगेएक दिन वह मूर्ति पूरी तरह से चन्दन के लेप से ढक गयी थी।

जब द्वारका में बाढ़ आई तो यह मूर्ति भी उस बाढ़ में बह गयी थी। सैकड़ों वर्षों के बाद यह मूर्ति एक पत्थर के रूप में समुद्र में एक जहाज वाले को मिली। वह इस पत्थर को अपने जहाज में रखकर अपने जहाज के भार को नियंत्रित करता था। एक दिन समुद्र में बहुत तेज तूफान आया तो वह जहाज समुद्र में फस गया। उसी समय संत श्री माधवाचार्य पुजा करने के लिए सुमुद्र के किनारे पर आए थे। जब उन्होने इस जहाज को तूफान में फसा हुआ देखा तो उन्होने कपड़ा हिलाकर जहाज को समुद्र के किनारे पर बुलाया, बाद में जहाज का स्वामी उपहार के रूप में इस पत्थर को संत श्री माधवाचार्य को दे गया। जब उन्होने इस पत्थर को धीरे-धीरे तोड़ा तो उसके अंदर से मूर्ति निकली। उन्होने इस मूर्ति को यहाँ स्थापित कर एक मंदिर बना दिया।

एक अन्य लोककथा के अनुसारकनक दास भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। लेकिन वह निचली जाति का होने के कारण उसे मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। फिर भी उन्होंने गहन पूर्ण भक्ति के साथ भगवान श्री कृष्ण प्रार्थना की। श्री कृष्ण कनक दास से प्रसन्न हुए और उन्होंने मंदिर की पश्चिम वाली दीवार की ओर मुड़कर एक छोटी सी खिड़की से कनक दास को दर्शन दिये। इस खिड़की को कनकना किंडी के नाम से जाना जाता है। अब कनकना किंडी के ऊपर एक मीनारजिसे कनक गोपुर कहते हैं। तीर्थयात्री मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस खिड़की से भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर करते हैं।

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कृष्ण मंदिर उडुपी का इतिहास  

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी के इतिहास के बारे में इस मंदिर की स्थापना 13 वीं शताब्दी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने द्वारा किया गया। वे वेदांत के द्वैती संप्रदाय के प्रवर्तक थे। भगवान श्री कृष्ण उडुपी का नाम संस्कृत शब्द उडुपा से लिया गया है जिसका अर्थ है चंद्रमा। यह नाम प्राचीन मंदिर चंद्रमौलीश्वर से भी जुड़ा है जो श्री कृष्ण मठ के अंदर स्थित है। चंद्रमौलीश्वर भगवान शिव का पर्याय है। यह तीन शब्दों का मेल से बना है। चंद्र का अर्थ चंद्रमा हैमौली का अर्थ है बाल और ईश्वर का अर्थ भगवान से हैं।

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी

कृष्ण मंदिर उडुपी की भौगोलिक स्थिति  

श्री कृष्ण मंदिर की बनावट ढलान छत वाली पर लाल रंग की टाइलों के साथ दक्षिण भारत के पारंपरिक रूप में की गयी है। इस मंदिर के अंदर अन्य छोटे-छोटे मंदिर जैसे गणेशहनुमानगरुड़ आदि भगवानों को समर्पित हैं। मंदिर के बगल में एक माधव सरोवर है। इसके गर्भगृह के पीछे माधव सरोवर चेन्ना केशव मंदिर है। जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों में शंकुचक्रगदा और कमल धारण किया है। इसके पीछे गर्भगृह का पूर्वी प्रवेश द्वार है जो केवल विजयादशमी के दिन ही खुला रहता है। बाहरी खिड़की को कनकना के रूप में जाना जाता है।

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कृष्ण मंदिर उडुपी का प्रबंधन  

श्री कृष्ण मंदिर के प्रबंधन का रख रखाव अष्ट मठों द्वारा रखा जाता हैं। प्रत्येक अष्ट मठ दो साल की अवधि के लिए मंदिर के मामलों के प्रशासन की जिम्मेदारी लेता है। दो वर्ष की समाप्ति के बादअन्य मठ एक क्रमानुसार एक-एक करके अपने अधिकार में ले लेते हैं। मंदिर का सम्पूर्ण खर्च भक्तों के योगदान से पूरा होता है। संत माधवाचार्य ने यहाँ आठ मठों की स्थापना थी। उनका नाम उन गांवों के नाम पर रखा जिनमें वे स्थित हैं। उन अष्ट मठों को पालिमारूअदुमरूकृष्णपुरापुट्टीगेशिरूरसोडेकनियूरू और पेजावर के नाम से जाना जाता है।

उडुपी कृष्ण मंदिर का खुलने का समय क्या है ?

श्री कृष्ण मंदिर  सुबह 5 बजे से दोपहर 11 बजे तक और शाम को 5 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। हालांकित्योहारों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान समय बदल जाता है। कृष्ण मंदिर उडुपी में खुलने और अनुष्ठान करने का समय इस प्रकार है:

मंदिर खुलने का समय सुबह 4:30 बजे।  

निर्मल्य विसर्जन पूजा सुबह 4:50 बजे।

उषाकला पूजा सुबह 6 बजे।

अक्षय पात्र-गोपूजा सुबह 6:15 बजे।

विश्वरूप दर्शन सुबह 6:20 बजे।

पंचामृतभिषेक सुबह 6:30 बजे।

उद्वर्तन पूजा सुबह 7:00 बजे।

कलश पूजा सुबह 7:30 बजे।

तीर्थ पूजा सुबह 7:40 बजे।

अलंकार पूजा सुबह 8:30 बजे।

अवसर पूजा सुबह 10:30 बजे।

महापूजा पूर्वाह्न 11:00 बजे।

चमरा सेवा शाम 7:00 बजे।

रात्रीपूजा शाम 7:30 बजे

रंगपूजा शाम 7:40 बजे।

उत्सव 8:00 बजे।

थोटिलु पूजा रात 8:30 बजे।

कोलालू सेवा रात 8:40 बजे।

एकान्त सेवा रात 8:50 बजे।

मंदिर बंद होए का समय रात 9:00 बजे।

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी

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कृष्ण मंदिर उडुपी के निकट के दर्शनीय स्थल  

कृष्ण मंदिर उडुपी के आस पास स्थित कुछ प्रमुख जगहों के बारे में नीचे बताया गया है।

1- मूकाम्बिका मंदिर

मूकाम्बिका मंदिर आदि शक्ति को समर्पित मंदिर है। जिनके बारे में माना जाता है कि वे तीन देवियों, सरस्वती, महाकाली और महा लक्ष्मी की शक्तियों का प्रतीक हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में एक लिंग है, जो पुरुष के साथ-साथ शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करता है और उस लिंग को  उद्भावलिंग कहा जाता है।

2- अनंतेश्वर मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। अनंतेश्वर मंदिर 8 वीं शताब्दी से भी अधिक पुराना मंदिर है। इस मंदिर परिसर में चंद्रमौलेश्वर और श्री कृष्ण के मंदिर भी हैं। यहाँ का मुख्य मंदिर पत्थरों से बना है और इसमें हाल ही में चांदी के दरवाजे की चौखट भी लगाई गई है।

3- मालपे बीच

यह बीच मैंगलोर से 66 किलोमीटर और कर्नाटक के उडुपी से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र तट स्थानीय लोगों और विदेशियों के बीच एक समान रूप से लोकप्रिय है। यहाँ सफेद रेत, सुहावना मौसम, और मनोरम भोजन सभी को लुभाता है। इस बीच में आप बहुत सारे पानी के गेम खेल सकते हो।

4- कौप बीच

यह बीच मैंगलोर और उडुपी शहर के बीच में स्थित है। यह बीच प्राचीन और अपेक्षाकृत अछूता समुद्र तट है। यहां पर एक लाइटहाउस है, जिसका निर्माण 1901 में किया गया था। जो रोजाना सुबह 5:30 बजे से एक घंटे के लिए खुला रहता है।

5- जोमलू तीर्थ

जोमलू तीर्थ सोमेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में स्थित एक जलप्रपात है। जिसका निर्माण सीता नदी द्वारा किया गया है। यह झरना घने प्राकृतिक अभ्यारण्य के बीच में 20 फीट की ऊंचाई से एक चट्टानी इलाके में गिरता है। अत्यधिक जल निकलने के कारण यहाँ एक संगीत स सुनाई देता है, जो सभी के दिलों को छु लेता है।

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी

उडुपी कृष्ण मंदिर कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से श्री कृष्ण मंदिर उडुपी में पहुँचने के लिये मैंगलोर हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से पहुँच सकते हैं। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 61 किलोमीटर है।

रेल मार्ग से श्री कृष्ण मंदिर उडुपी  में पहुँचने के लिये उडुपी रेलवे स्टेशन से ऑटो टैक्सी या पैदल ही मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर 3 किलोमीटर दूर स्थित है।

रोड मार्ग से श्री कृष्ण मंदिर उडुपी में पहुँचने के लिये तमिलनाडू  राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।

कृष्ण मंदिर उडुपी के पास होटल  

श्री कृष्ण मंदिर उडुपी के पास स्थित होटलों की सूची नीचे दी गयी है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी होटल में रुक सकते हैं। ये सभी होटल मंदिर के पास ही स्थित हैं-

1-The Ocean Pearl.

2-Samanvay Boutique Hotel Udupi.

3-Sai Residency.

4-Hotel Sri Krishna Residency.

5-Shri Ramakrishna Hotel.

6-Shambhavi Hotel.

7-Sharada International Hotel.

8-Treebo Vijaya Grand.

9-Hotel Udupi Residency.

10-Hotel Swadesh Heritage.

Conclusion

आशा करता हूँ कि मैंने जो आपको कृष्ण मंदिर उडुपी के बारे में आपको जानकारी दी वह आपको अच्छे से समझ आ गयी होगी। मैंने इस पोस्ट में इस मंदिर से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।

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 Note 

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