श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के बारे में जानकारी 

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरे इस लेख में जिसमें मैं आपको श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के बारे में बताऊंगा। यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के मांड्या जिले में तिरुचिरापल्ली नामक स्थान पर स्थित है। श्री रंगनाथस्वामी मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह स्थान मैसूर शहर से लगभग पंद्रह किलोमीटर दूर है। श्री रंगनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। और उनके नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर एक द्वीप पर स्थित है।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम धर्म वर्मा चोल द्वारा किया गया था। बाद में कावेरी नदी पर बाढ़ आने से मुख्य मंदिर नष्ट हो गया तह। कई वर्षों के पश्चात चोल राजा किलिवलवन ने मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण किया। इसलिए इस मंदिर के निर्माण का श्रेय विजयनगर साम्राज्य के शासकों को जाता है। बाद में होयसल राजाओं और हैदर अली ने मंदिर का अतिरिक्त विस्तार किया था। मंदिर मे मिले शिलालेख के अनुसार 9 वीं से 16 वीं शताब्दी के बीच अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर और दिल्ली सल्तनत की सेना ने मंदिर पर आक्रमण कर सम्पूर्ण मंदिर मे लूट पाट की। इस लूट के बारे मे अरबी ग्रंथों में कहा गया है कि उन्होंने (अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने) कावेरी नदी के तट पर स्थित एक स्वर्ण मंदिर पर आक्रमण कर उस मंदिर को नष्ट कर मंदिर मे स्थित मुख्य देवता की स्वर्ण मूर्ति को लूट कर अपने साथ दिल्ली ले गए।

कहा जाता है कि मुस्लिम सेना मूर्ति को दिल्ली की ओर ले जा रही थी तब एक लड़की ने कसम खाई कि जब तक उस मूर्ति को देख नहीं लेती तब तक वह उपवास रखेगी। वह मुस्लिम सेना का पीछा करते हुये दिल्ली पहुँच गयी। वहाँ उसने महल में घुसकर देखा कि सुल्तान की बेटी को उस मूर्ति से प्यार हो गया था। युवती वापस श्रीरंगम लौट आई और उसने जो भी उस महल मे देखा सारी घटनाएँ वहाँ के पुजारियों को बता दी। मंदिर के पुजारी संगीतकारों के साथ दिल्ली सुल्तान के महल में पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर उन्होंने देखा कि भगवान की मूर्ति सुल्तान की बेटी के कब्जे मे है। उन्होंने उस मूर्ति को वापस पाने  के लिए सुल्तान के सामने गाया और नृत्य किया। उनके संगीत को देखकर सुल्तान ने वह मूर्ति उनको वापस कर दी। बाद मे मूर्ति न होने के कारण उसकी बेटी परेशान हो गई। अपनी बेटी को खुश करने के लिए सुल्तान ने अपनी सेना को दोबारा ओ मूर्ति को वापस लाने के लिए भेजा, लेकिन इस बार वे सफल नहीं हुए।

उस मूर्ति के वापस आने के बाद वहाँ के पुजारियों ने पुनः मूर्ति को मंदिर मे स्थापित कर दिया। बाद मंदिर का निर्माण कर उसके ऊपर ठोस सोने की चादरों के साथ अपसाइडल छतों को लेपित कर दिया इसके बाद मंदिर में नए मंदिरों, मंडपों और गोपुरों की एक श्रृंखला को जोड़ने का कार्य किया गया।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की धार्मिक कथा  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के बारे मे क्षेत्रीय पौराणिक ग्रंथों मे बताया गया है, कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उस समय समुद्र मंथन से श्रीरंगम विमान निकला। जो कई युगों तक सत्यलोक मे ही रहा। बाद में राजा इक्ष्वाकु ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर उस विमान को अपने साथ अयोध्या ले गये। बाद में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम जी ने जब रावण को मारा तो उसके बाद उन्होने इस विमान को विभीषण को दे दिया था। जब विभीषण इस विमान से वापस जा रहे थे तो उनका विमान श्रीरंगम विमानम द्वीप पर रुक गया और यहाँ से आगे नहीं बढ़ा। तो विभीषण ने यह विमान धर्म वर्मा नामक एक स्थानीय राजा को दे दिया। धर्म वर्मा ने इस विमान को हमेशा के लिए दक्षिण कार्डिनल दिशा में स्थापित कर दिया। दक्षिण दिशा की ओर स्थापित होने के कारण यह मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर झुकी रहती है।

एक अन्य कथा के अनुसार चार बाल संत श्रीरंगम में रंगनाथ के दर्शन के लिए आए थे। उन्हें वैकुंठ के संरक्षक जया और विजया ने रोक दिया। काफी मिन्नत करने के बाद भी उन्हें मंदिर में प्रवेश देने से मना कर दिया गया। चारों ने गुस्से में आकर एक स्वर में वहाँ के पुजारियों को श्राप दिया और वहाँ से चले गए। सभी पुजारी भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें श्राप के बारे में बताया। तो भगवान विष्णु ने कहा कि वह श्राप को वापस नहीं कर पाएंगे और उन्हें दो विकल्प दिये। पहला तीन जन्मों तक भगवान विष्णु का विरोध करने वाले राक्षसों के रूप में जन्म लें। दूसरा अगले सात जन्मों बाद अच्छे इंसान बनें। सभी पुजारियों ने राक्षसों को बनना स्वीकार किया और उन्होंने हिरण्याक्ष और हिरंण कश्यप, रावण और कुंभकर्ण, शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने उन सभी राक्षसों को मारने के लिए वराह, नरसिंह, राम और कृष्ण के रूप में चार अवतार लिये।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर

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श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की भौगोलिक स्थिति  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 6,31,000 वर्ग मीटर या 156 एकड़ है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है, जिसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है। इस मंदिर में एक नवरंग मंडपम है जो गर्भगृह के चारों ओर स्थित है। प्रमुख देवता श्री रंगनाथ सात सिरों वाले शेषनाग के ऊपर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। देवी लक्ष्मी भगवान रंगनाथ के चरणों में बैठी हुयी हैं। देवी रंगनायकी इस खूबसूरत मंदिर की प्रमुख देवी हैं। द्रवीण शैली मे बने इस मंदिर की शानदार वास्तुकला और विशेष नक्काशी वास्तव में आंखों को प्रसन्न करती है। यह मंदिर भगवान रंगनाथ को समर्पित है।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की वास्तुकला  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण दक्षिण भारत की प्रसिद्ध द्रविण शैली मे किया गया है। इस मंदिर की दीवारों की लंबाई 9,934 मीटर से अधिक हैं। मंदिर में 17 गोपुरम 39 मंडप, 50 छोटे-छोटे मंदिर, 9 पवित्र जल कुंड और 1000 स्तंभों वाला एक हॉल है। जिसके अंदर कई छोटे-छोटे जल निकाय हैं। मंदिर मे दो बाहरी प्रागण हैं, एक आवासीय परिसर और एक बाज़ार हैं इन प्रागणों मे दुकानें, रेस्तरां और फूलों की दुकानें हैं। मंदिर के भीतर भगवान विष्णु और उनके अवतारों जैसे राम और कृष्ण आदि के मंदिर हैं। प्रमुख मंदिर देवी लक्ष्मी और वैष्णववाद के कई संतों को समर्पित है। विशेष रूप से, ये तीर्थस्थल तमिल कवि-संत और अलवर कहे जाने वाले दार्शनिकों के साथ-साथ श्री वैष्णववाद परंपरा के रामानुज और मनावाला मामुनिगल जैसे हिंदू दार्शनिकों को मनाते हैं। कई वर्षों तक विभिन्न मंडपों और गोपुरों के निर्माण होने के बाद भी रंगनाथस्वामी मंदिर की वास्तुकला तमिल परंपरा में हिंदू मंदिरों के बेहतर उदाहरणों में से एक है।

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श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के हॉल या मंडपम  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर मे कई प्रकार के हॉल या मंडपम स्थित है। जिनकी जानकारी नीचे दी गयी है -

1-  एक हजार स्तंभों वाले ग्रेनाइट से बने हॉल की संरचना  एक थिएटर जैसी है। इसकी शैली विजयनगर शासन काल के दौरान की है। इसमें एक केंद्रीय चौड़ा गलियारा है, जिसमें प्रत्येक तरफ सात तरफ गलियारे हैं, जिसमें एक चौकोर पैटर्न में स्तंभ हैं।

2-  शेषराय हॉल को नायक शासन काल के दौरान निर्मित जटिल नक्काशीदार शैली के आधार पर बनाया है। यह चौथे प्रांगण की पूर्व दिशा में स्थित है। इस सामुदायिक हॉल के उत्तरी भाग में 40 छलांग लगाने वाले जानवर को दर्शाया गया हैं।

3-  गरुड़ मंडपम का नाम भगवान विष्णु के वाहन के नाम पर रखा गया है, जिसका नाम गरुड़ है। यह तीसरे प्रांगण के दक्षिण की ओर है। सामुदायिक हॉल के अंदर, इसके खंभों पर चित्रात्मक मूर्तियां बनाई गयी हैं। इस हॉल के बीच में एक गरुड़ की आकृति भी बनाई गयी है।

4-  किली मंडपम यह प्रथम प्रांगण के अंदर पाया जाता है। यह भगवान के रंगनाथ गर्भगृह के बगल में स्थित है। यहाँ हाथी को सीढ़ियाँ पर चढ़ते हुये दिखाया हैं, जो सीढ़ियाँ सभा हॉल में जाती हैं। यहाँ 17वीं शताब्दी के हिंदू शासकों के शासन काल को दर्शाया गया हैं। हॉल और संरचनात्मक तत्वों को जानवरों के साथ उकेरा गया है। इस हॉल केंद्र में चार नक्काशीदार स्तंभों के साथ एक उठा हुआ चौकोर मंच है।

5-  रंग विलासा मंडपम तीर्थयात्रियों के समूहों और परिवारों के लिए एक साथ बैठने और आराम करने के लिए स्तंभों के बीच बड़े स्थान पर सामुदायिक हॉलों का निर्माण किया है। जिसके चारों ओर हिंदू पौराणिक कथाओं के भित्ति चित्रों और रामायण के आख्यानों को दर्शाया गया हैं।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर श्रीरंगपटन दर्शन का समय  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का खुलने और दर्शन करने का समय-

मंदिर खुलने का समय सुबह 6:00 बजे।

पुजा का समय सुबह 7:15 बजे से 9:00 बजे तक।

दर्शन का समय सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक।

दोपहर की पुजा का समय 12:00 बजे से 1:15 बजे तक।

दर्शन का समय दोपहर 1:15 बजे से शाम 6:00 बजे तक।

शाम की पुजा का समय शाम 6:00 बजे से 6:45 बजे तक।

दर्शन का समय शाम 6:45 बजे से रात 9:00 बजे तक।

रात 9;00 बजे के बाद मंदिर बंद हो जाता है।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पहुँचने के लिये तिरुचिरापल्ली हवाई अड्डे से टैक्सी या ऑटो टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते हैं। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 9 किलोमीटर है।

रेल मार्ग से श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पहुँचने के लिये पुदुक्कोट्टई रेलवे स्टेशन से टैक्सी के माध्यम से मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर 54 किलोमीटर दूर स्थित है।

रोड मार्ग से श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पहुँचने के लिये तमिलनाडू  राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के पास होटल  

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के पास स्थित होटलों की सूची नीचे दी गयी है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी होटल में रुक सकते हैं। ये सभी होटल मंदिर के पास ही स्थित हैं-

1- Jyothi Suites.

2- Grand Suites Srirangam.

3- Moonlight Residency.

4- Srirangam Service Apartment.

5- Srirangam Homestay.

6- Red Fox Hotel, Trichy.

7- Hotel Rockfort View.

8- Grande Inn.

9- Star Residency.

10- Vivid A Boutique Hotel.