बृहदेश्वर मंदिर के बारे में जानकारी

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी मेरे एक और नये लेख में जिसमें मैं आज आपको बृहदेश्वर मंदिर के बारे में बताऊँगा। यह मंदिर तमिलनाडु राज्य तंजावुर में भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। बृहदेश्वर मंदिर को राजराजेश्वरम या पेरुवुदैयर कोविल के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बृहदीश्वर मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का भी हिस्सा है। बृहदेश्वर मंदिर को दक्षिण मेरु (दक्षिण का मेरु) भी कहा जाता है।

बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास  

बृहदेश्वर मंदिर का चोल राजा राजराजा प्रथम द्वारा सन 1003 ईस्वी से 1010 ईस्वी के बीच किया गया था। चालुक्य युग के शासन में 5 वीं से 9 वीं शताब्दी के बीच में हिंदू मंदिरों का बहुत विकास हुआ। इस समय के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक मंदिरों का निर्माण किया गया था। चालुक्य शासन का समय काल हिन्दू मंदिरों का स्वर्णिम काल था। चालुक्य वंश के बाद सन 850 ईस्वी से 1280 ईस्वी के बीच चोल राजवंश का विकास हुआ, उन्होंने भी अपनी भू-राजनीतिक सीमाओं को सुरक्षित करने और वास्तुकला का प्रचार प्रसार करने पर अधिक जोर दिया। अपनी धार्मिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए प्रथम चोल राजा ने दक्षिण भारतीय शैली में बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।

बृहदेश्वर मंदिर

बृहदेश्वर मंदिर की वास्तुकला  

बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करते समय अक्षीय और सममित ज्यामिति सिद्धांतों का उपयोग किया गया है। यह मंदिर मानव द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक टीले के एक उच्च मंच पर स्थित  एक बहुत बड़ा मंदिर है। यह मंदिर परिसर दो बड़े आकार के विशाल भूखंडों में स्थित है, जो पूर्व से पश्चिम तक 240.79 मीटर और उत्तर से दक्षिण में 121.92 मीटर की दूरी तक फैले हुए है। इस मंदिर परिसर में पाँच मुख्य खंड हैं, जो इस प्रकार हैं - विशाल अधिरचना के साथ गर्भगृह (श्री विमान), नंदी हॉल (नंदी-मंडपम) और इनके बीच में मुख्य सामुदायिक हॉल (मुखमंडपम), महान सभा हॉल (महामंडपम) और एक मंडप जो इस महान हॉल को गर्भगृह (अर्धमंडपम) से जोड़ता है। मूल मंदिर प्रांगण के अंदर मुख्य गर्भगृह और नंदी-मंडपम के साथ दो अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं, जिनमे एक कार्तिकेय का और दूसरा माँ  पार्वती का मंदिर है। इनके अतिरिक्त इस परिसर में अन्य छोटे मंदिर भी विराजमान हैं। इस मंदिर का बाहर एक विशाल प्रांगण है।

बृहदेश्वर मंदिर ने दक्षिण भारत के हिंदू मंदिर प्रथाओं को बचाए रखा। आपनी स्थापत्य कला और सजावटी तत्वों को हमेशा के संरक्षित किया है। लेकिन इस मंदिर का आकार 11 वीं शताब्दी से पहले बने मंदिरों से कहीं अधिक बड़ा था। चोल युग के वास्तुकारों और कारीगरों ने 63.4 मीटर (208 फीट) की विशाल विमान की ऊंचाई हासिल करने के लिए, विशेष रूप से एक भारी पत्थर से इसका निर्माण किया है।

इस मंदिर के प्रांगण में मुख्य मंदिर के साथ-साथ अन्य छोटे मंदिर भी हैं।  जिनमें से अधिकांश अक्षीय रूप से संरक्षित हैं, मुख्य शिव मंदिर के चारों ओर उनकी पत्नी पार्वती, उनके पुत्र गणेश, नंदी, वाराही, करुवुर देव (राजराज चोल के गुरु), चंदेश्वर और नटराज आदि के मंदिर भी विराजमान हैं। नंदी मंडपम में एक अखंड बैठा बैल गर्भगृह बना हुआ है। इसके बाद एक आंतरिक मंडप है जो प्रदक्षिणा पथ, या परिक्रमा पथ से जुड़ता है। नंदी मंडपम (बैल) का वजन लगभग 25 टन के आस पास है। यह लगभग 2 मीटर लंबा, 6 मीटर लंबा और 2.5 मीटर चौड़ा है, और एक ही पत्थर से बना हुआ है।

 पशुपति नाथ मंदिर के इतिहास के बारे में यहाँ पर क्लिक करके जाने। 

बृहदेश्वर मंदिर के सांस्कृतिक कार्यक्रम  

बृहदेश्वर मंदिर में अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। जो हमको हमारी सभ्यता से जुड़ी हुई चीजों के बारे में बताते है। जिस तरह से लोग आज के आधुनिक समय में आपनी सभ्यता को भूलते जा रहे हैं, इसलिए ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम करके लोगों को अपने इतिहास के बारे में बताया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में नीचे बताया गया है।

1- मंदिर जुलूस उत्सव

यह उत्सव महाशिवरात्रि के आस पास मनाया जाता है, इस दौरान मंदिर में विभिन्न प्रकार का सांस्कृतिक नृत्य किया जाता है। इसमें भारतीय कलाकार शास्त्रीय नृत्य करते हैं, उनके साथ यहाँ की क्षेत्रीय टीमें भी इसमें भाग लेती हैं। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है।

2- कार फेस्टिवल

यह फेस्टिवल 20 अप्रैल 2015 को पहली बार आयोजित किया गया। इसका आयोजन मंदिर के सामने किया गया, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए थे। नौ दिनों के बाद कार में मंदिर की एक बारात निकली गई। इस मंदिर के इतिहास में ऐसा उत्सव पहली बार मनाया गए।

3-उपन्यास

इस उपन्यास में एक प्रसिद्ध तमिल उपन्यासकार कल्कि कृष्णमूर्ति ने राजा चोल प्रथम के जीवन पर आधारित पोन्नियिन सेलवन नामक एक ऐतिहासिक उपन्यास लिखा है। एक अन्य तमिल लेखक बालकुमारन ने उदययार नाम का एक उपन्यास लिखा है जो राजा राजा चोल प्रथम के जीवन और मंदिर के निर्माण पर आधारित है।

बृहदेश्वर मंदिर

बृहदेश्वर मंदिर खुलने का समय  

बृहदेश्वर मंदिर प्रातः सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है। यह मंदिर दिन में कुछ समय तक बंद रहता है, फिर शाम को 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। रात को 9:00 बजे यह मंदिर बंद हो जाता है।

बृहदेश्वर मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार  

बृहदेश्वर मंदिर में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के बारे में नीचे बताया गया है।

1- चित्राई ब्रमोथ्सवम, यह त्योहार अप्रैल से मई के बीच में 18 दिनों तक मनाया जाता है।

2- शिवराथिरी, यह त्योहार फरवरी में 1 दिन के लिए मनाया जाता है।

3- नवराथिरी, यह त्योहार सितंबर से अक्टूबर के बीच 9 दिनों तक मनाया जाता है।

4- अरुथरा दर्शनम, यह त्योहार दिसंबर माह में 1 दिन के लिए मनाया जाता है।

5- सत्यविझा, यह त्योहार अक्टूबर माह में 2 दिन के लिए मनाया जाता है।

6- पंचमी देवी, यह त्योहार पंचमी एक पखवाड़े में मनाया जाता है।

7- गिरिवलम, यह त्योहार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

8- आदि पूरम।

9- चित्राई ब्रह्मोत्सवम।

10- थानूरमाधा पूजा।

तंजावुर मंदिर की संरचनाएं  

तंजावुर मंदिर की कुछ प्रमुख संरचनाओं के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।

1- मराठा प्रवेश।

2- केरलंतकन तिरुवसल।

3- राजराजन तिरुवसल।

4- नंदी मंडपम।

5- वाराही श्राइन।

6- साउथ क्लोस्टर मंडपम।

7- बृहदेश्वर मंदिर।

8- व्याख्या केंद्र।

9- गणेश तीर्थ।

10- करुवुर देवर श्राइन।

11- सुब्रह्मण्य श्राइन।

12- चंडीकेश्वर तीर्थ।

13- उत्तरी मठ मंडपम।

14- अम्मन श्राइन।

15- नटराज मंडपम।

बेलूर मठ के इतिहास के बारे में यहाँ पर क्लिक करके जाने। 

तंजावुर मंदिर के रहस्य  

तंजावुर मंदिर में 216 फीट का भूमिगत मार्ग है। इस मंदिर के शीर्ष को विशाल पत्थरों से टोपी नुमा आकार का बनाया गया है। तंजावुर में शिव मंदिर के निर्माण के लिए ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यहाँ एक गुप्त मार्ग भी है, जिसके बारे में यह नहीं पता है की यह कहाँ निकलता है।

बृहदेश्वर मंदिर के पास के दर्शनीय स्थल  

बृहदेश्वर मंदिर के आस पास के प्रमुख घूमने वाली जगहों के बारे में नीचे बताया गया है।

1- मराठा महल

तंजावुर मराठा महल को स्थानीय रूप से अरनमनई के नाम से जाना जाता है। यह भोंसले परिवार का आधिकारिक निवास है, जिन्होंने सन 1674 से 1855 ईस्वी तक तंजौर पर शासन किया था।

2- तंजापुरेश्वर मंदिर

यह मंदिर तंजावुर में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित तीन हिंदू मंदिरों का एक समूह है। यह सभी मंदिर एक दूसरे के आस पास ही स्थित हैं। यह मंदिर दिव्य देशमों में से एक है। अन्य दिव्यदेशमों के विपरीत जहां एक ही मंदिर का उल्लेख किया जाता है। मंदिरों के इस सेट को सभी पासुरामों में एक साथ संदर्भित किया जाता है।

3- शिवगंगा पार्क

शिवगंगा पार्क भारत के तमिलनाडु में तंजावुर शहर का एक प्रसिद्ध मनोरंजक पार्क है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बृहदेश्वर मंदिर से जुड़ा हुआ है।

4- सरस्वती महल पुस्तकालय

इस पुस्तकालय को तंजावुर महाराजा सरफोजी की सरस्वती महल पुस्तकालय भी कहा जाता है। इसको 16 वीं शताब्दी के दौरान तंजावुर के नायक द्वारा स्थापित किया गया था। यह एशिया के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक है। इसमें तमिल और संस्कृत में लिखे गए ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों और कागजों का एक दुर्लभ संग्रह है। यह भारत के लिए स्वदेशी और कुछ अन्य भाषाओं का एक दुर्लभ संग्रह है।

5- पुन्नैनल्लुर श्री महा मरिअम्मन मंदिर

पुन्नई नल्लूर मरिअम्मन मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। देवी मरिअम्मन का मंदिर तंजावुर जिले के आसपास के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर तंजावुरी के बाहरी इलाके में स्थित है

बृहदेश्वर मंदिर

बृहदेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से बृहदेश्वर मंदिर में पहुँचने के लिये तिरुचिरापल्ली हवाई अड्डे से टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते हैं। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 61 किलोमीटर है।

रेल मार्ग से बृहदेश्वर मंदिर में पहुँचने के लिये तंजावुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से औटो टैक्सी के माध्यम से मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर 1 किलोमीटर दूर स्थित है।

रोड मार्ग से बृहदेश्वर मंदिर में पहुँचने के लिये तमिलनाडू  राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।

बृहदेश्वर मंदिर के पास होटल  

बृहदेश्वर मंदिर के पास स्थित होटलों की सूची नीचे दी गयी है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी होटल में रुक सकते हैं। ये सभी होटल मंदिर के पास ही स्थित हैं-

1- Hotel Gnanam.

2- Hotel Victoriyah.

3- Barnabas Homestay.

4- Hotel Oriental Towers.

5- Hotel Pandiyar Residency.

6- Hotel Gnanam.

7- Hotel Victoriyah.

8- PL.A.INN Hotel.

9- Sangam Hotel.

10- Vedha's Stay.

Conclusion

आशा करता हूँ कि मैंने जो आपको बृहदेश्वर मंदिर के बारे में आपको जानकारी दी वह आपको अच्छे से समझ आ गयी होगी। मैंने इस पोस्ट में इस मंदिर से संबन्धित सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है।

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 Note 

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