कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के बारे में जानकारी 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का मेरे एक और नये लेख में जिसमें मैं आज आपको महालक्ष्मी मंदिर के बारे में बताऊँगा। यह महालक्ष्मी मंदिर महाराष्ट्र के प्राचीन शहर कोल्हापुर में स्थित है। इस मंदिर को अंबा बाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर धन की देवी माता महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से शाक्त संप्रदाय के अनुयायियों के लिए बहुत पवित्र मंदिर है। कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर को 51 शक्तिपीठ और 18 महा शक्ति पीठों में से एक माना जाता है । 

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास चालुक्य काल लगभग 600 ईस्वी का है, इसी वंश के शासकों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। 8वीं शताब्दी में आए भूकंप ने मंदिर के अधिकांश भाग को नष्ट कर दिया था, लेकिन मंदिर का जो भाग बच हुआ था उसे आज भी देखा जा सकता है। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर ऊंचे और घने जंगलों में होने के कारण बहुत समय तक लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जान पाये। बाद में 1009 ईस्वी में कोंकण राजा कर्णदेव ने इस मंदिर की खोज की, लेकिन शिलाहार वंश के राजा गंधरादित्य ने 11वीं शताब्दी में मंदिर तक पहुँचने वाले रास्ते का निर्माण किया। उन्होंने यहाँ पर दो मंदिरों (देवी महाकाली और सरस्वती माता) का निर्माण करवाया था। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर परिसर स्थित एक शिलालेख के अनुसार 18वीं शताब्दी में मराठा शासन काल में ढाबड़ों और गायकवाड़ों द्वारा इस मंदिर का नवीनीकरण कार्य किया गया था।सन 1941 में श्रीमंत जहांगीरदार बाबासाहेब घाटगे द्वारा यहाँ नवग्रह मंदिर में नौ ग्रहों की मूर्तियां स्थापित कीं गई थी।  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का धार्मिक महत्व  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ी प्राचीन कहानियों के अनुसार इस स्थान पर एक कोल्हा नाम का राक्षस रहता था। वह भगवान ब्रह्मा के पास तपस्या करने के लिए गया तो इस स्थान पर सुकेसी नाम के एक अन्य राक्षस ने कब्जा कार लिया। कोल्हा भगवान ब्रह्मा की तपस्या पूर्ण कार वापस आया तो उसने सुकेसी का वाढ कर अपने बेटे करवीरा को यहाँ का राजा बना दिया। दोनों बाप बेटे मिलकर यहाँ अत्याचार करने लगे। यह सब देख कार भगवान शिव जी ने करवीरा को एक युद्ध में मार दिया। अपने पुत्र की मृत्यु का बदला लेने के लिए कोल्हा ने माता महालक्ष्मी की तपस्या की और उनसे 100 वर्षों तक इस शहर में प्रवेश नहीं करने का वचन लिया। कोल्हा को वचन देकर माता महालक्ष्मी यहाँ से चली गई। माता के जाने के बाद कोल्हा ने यहाँ रहने वाले लोगों और देवताओं को फिर से परेशान करना शुरू कर दिया। बाद में 100 वर्षों के बाद जब माता वापस आई तो उन्होंने देवताओं के साथ उस कोल्हा राक्षस का वध कार दिया। आपनी मृत्यु से पहले कोल्हा ने माता से तीन वर मांगे पहला वर उसने अपने लिए माफी मांगी, दूसरा वर इस जगह का नाम कोल्हापूर रख दें और तीसरा वर माता से हमेशा यही पर रहने के लिए कहा, माता ने उसकी सभी बातें मानी और हमेशा के लिए यहीं पर विराजमान हो गई।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर की वास्तुकला  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण हेमाडपंथी शैली के अनुसार किया गया है। इस मंदिर परिसर में पाँच बड़ी मीनारें और एक मुख्य हॉल है। सबसे बड़े शिखर वाले मंदिर के गर्भगृह में देवी महालक्ष्मी विराजमान है, और उत्तर व दक्षिण वाले मंदिरों मे महा काली और सरस्वती माता विराजमान हैं। इस मंदिर में एक श्री यंत्र भी विराजमान है जो इन तीनों देवियों का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं और मुख्य द्वार को महा द्वार कहा जाता है। इस मंदिर परिसर में भगवान विष्णु को समर्पित शेषशाही मंदिर, नवग्रह मंदिर, विट्ठल मंदिर और रखुमाई मंदिर भी विराजमान हैं। मंदिर के गर्भग्रह में कमल के फूल के ऊपर चार भुजाओं वाली खड़ी मुद्रा में माता लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है। एक पत्थर का शेर वाहन के रूप माता के पीछे खड़ा हुआ है। माता के मुकुट पर शेषनाग और एक शिव लिंग की छवि भी बनाई गई है, लेकिन भक्तों को दिखाई नहीं देता क्योंकि यह देवी के गहनों के नीचे दब गया है।

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कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर खुलने का समय  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे खुलता है और रात को 11:00 बजे बंद हो जाता है। इस दौरान मंदिर में कई तरह के अनुष्ठान भी किए जाते हैं। सभी भक्तगण इन

अनुष्ठानों में शामिल हो सकते हैं।

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का समय इस प्रकार है

अनुष्ठान दर्शन समय – सुबह 4:30 बजे।

काकड़ आरती का समय – सुबह 4:30 बजे।

महापूजा (सुबह) का समय – सुबह 8:00 बजे।

नैवाद्यम का समय - सुबह 9:30 बजे।

महापूजा (दोपहर) का समय – दोपहर 11:30 बजे।

भोग आरती का समय – सुबह 7:30 बजे।

शेज आरती का समय – रात्री 10:00 बजे।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर का महत्व  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर विशेष रूप से शक्तिवाद संप्रदाय प्रतिनिधित्व करता है। इसको 18 महा शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इन पीठों में पूजा पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार के बुराईयों से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर में विराजमान माता की मूर्ति को एक ही पत्थर से बनाया गया है, और उसे विभिन्न प्रकार के आभूषणों से सजाया गया है। माता की यह मूर्ति लगभग 5000 साल पुरानी है। इसका वजन 40 किलोग्राम है। इस मंदिर परिसर के अंदर स्थित शेषशाही मंदिर के गुंबद पर 60 जैन तीर्थंकरों के चित्र भी बनाए गए हैं। जिन्हे लेकर मान्यता है कि यह मंदिर जैन तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है। लेकिन वर्तमान समय में यहाँ शेष नाग पर विराजमान भगवान विष्णु की एक मूर्ति की पूजा की जाती है।

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में मनाए जाने वाले त्योहार  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में नवरात्रि का पर्व बहुत ही भव्य और शानदार तरीके से मनाया जाता है। इस मंदिर में मनाए जाने वाले कुछ त्यौहार हैं

1- नवरात्रि महोत्सव

नवरात्रि का त्योहार वर्ष में दो बार आता है। यह महोत्सव दस दिनों के होता है, इस दौरान शक्ति के रूप में देवियों की पूजा की जाती है। नवरात्रों में यहाँ प्रतिदिन सुबह 8:30 से 11:30 बजे तक महानैवेद्यम और आरती की जाती है। रात्री के समय सम्पूर्ण मंदिर को दीपों से सजाया जाता है। इन दिनों मंदिर प्रशासन द्वारा यहाँ कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

2- ललिता पंचमी

नवरात्रि के समय पांचवें दिन को ललिता पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस देवी को पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाली माना जाता है। इस खास दिन पर सुबह 7 बजे और 10 बजे विशेष पूजा की जाती है। यह पूजा कोल्हापुर के राजघराने के छत्रपति कुष्मांडाबली के वंशजों द्वारा की जाती है।

3- किरनोत्सव

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर की अनूठी उत्सव परंपरा साल में दो बार होती है, एक बार 31 जनवरी को और दूसरी बार 9 नवंबर को। हर बार, उत्सव तीन दिनों तक चलता है। इन दिनों सूर्य देव को माता महालक्ष्मी के चरणों में प्रणाम करके उनका सम्मान करने का प्रतीक है।

4- रथोत्सव

यह उत्सव हर साल अप्रैल में मनाया जाता है। इस दौरान देवी लक्ष्मी की मूर्ति को शाम को मंदिर के चारों ओर घुमाया जाता है। इस समय सभी भक्त माता को प्रसाद भी चढ़ाते हैं। इस रथ में माता को रखते हैं उसे फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। मंदिर परिसर के चारों ओर रंगोली बनाई गई है।

 5- दीपावली

दीपावली के दौरान इस मंदिर को सैकड़ों दीपों से सजाया गया है और परिसर में भक्तों के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के पास घूमने वाले स्थान  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के आस पास घूमने वाले कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में जानकारी नीचे दी गई है।

1- खासबाग मैदान

खासबाग मैदान कोल्हापुर शहर में एक राष्ट्रीय कुश्ती स्टेडियम है। इसका निर्माण राजर्षि शाहू महाराज के समय किया गया। यह भारत का सबसे बड़ा कुश्ती स्टेडियम है, और लगभग सौ साल पुराना है। यह महालक्ष्मी मंदिर से मात्र 1 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित है।

2- भवानी मंडप

यह भवानी देवी को समर्पित एक छोटा स मंदिर है। यह महालक्ष्मी मंदिर से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है। भवानी देवी को लक्ष्मी माता की बहन और कोल्हापुर की अतिथि माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भवानी देवी के दर्शन किए बिना महालक्ष्मी मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

3- नरसिंहवाड़ी या नरसोबाची वाडी

यह तीर्थस्थल कोल्हापुर से 55 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान दत्तात्रेय जिन्हें भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पवित्र त्रिमूर्ति का अवतार माना जाता है उनको समर्पित है। यहां पर उनकी श्री नरसिंह सरस्वती के रूप में पूजा की जाती है। यह दो नदियों, पंचगंगा और कृष्णा के संगम का स्थल भी है।

4- बाहुबली पहाड़ी मंदिर

बाहुबली पहाड़ी मंदिर जैन दिगंबर समर्पित मंदिर है। यह कोल्हापुर से 27 किमी की दूरी पर स्थित है। पहाड़ों पर बीएसई होने के कारण इसे कुंभोजगिरी नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर बाहुबली की 28 फीट लंबी प्रतिमा विराजमान है, और यह जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित मंदिरों से घिरी हुई है।

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कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में कैसे पहुँचें  ?

हवाई मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये कोल्हापुर घरेलू हवाई अड्डे से ऑटो टैक्सी या टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते हैं। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।

रेल मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये छत्रपति शाहू महाराज टर्मिनस से ऑटो टैक्सी या टैक्सी के माध्यम से मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हो। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है।

रोड मार्ग से कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर में पहुँचने के लिये महाराष्ट्र राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं।

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के पास होटल  

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर के पास स्थित होटलों की सूची नीचे दी गयी है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी होटल में रुक सकते हैं। ये सभी होटल मंदिर के आस पास ही स्थित हैं-

1- Yashada Vishramdham.

2- Shree Mahalaxmi Yatri Niwas.

3- Sayaji Hotel, Kolhapur- 5 star hotel in kolhapur.

4- Hotel Silver Oak.

5- Solanki Guest House.

6- Hotel Atharv.

7- Hotel Classic Mid Town.

8- Ramee Panchshil, Kolhapur.

9- Hotel Ayodhya.

10- Hotel Kohinoor Square.